अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

8 मार्च-अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, woman's day
Woman's day

टूटती बंदिशे,बढ़ता मनोबल।


आज विश्व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है।
यह प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक,राजनीतिक,धार्मिक व आर्थिक क्षेत्र में बल्कि यूं कहे कि
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समानता का अधिकार देने एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए मनाया जाता है।


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की प्रति वर्ष  एक थीम होती है इस बार की थीम है-

मैं जनरेशन इक्वेलिटी: महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूं।

हमारे देश में सदियों से पुरुषवादी मानसिकता महिलाओं पर हावी रही है।
धार्मिक और सामाजिक नियमों,रूढ़ियों व मान्यताओं ने महिला को एक दायरे तक सीमित कर दिया।
मगर यह असमानता हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों में रही है।

विश्व महिला दिवस

Happy woman's day,mahila divas
Happy woman's day

कई देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार बाद में दिया गया है।
महिलाओं को ड्राइविंग करने का अधिकार सऊदी अरब ने हाल ही दिया है जो पहले नहीं था।
ऐसे कई उदहारण है जो महिलाओं की समानता के संघर्ष से संबंधित हैं।

महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रही है कई साहसिक महिलाओं ने पुरुषवादी वर्चस्व को चुनौती दी है।

पिछले तीन-चार वर्ष देश की महिलाओं के लिए बड़ी उपलब्धियों वाले रहे हैं। जैसे- सबरीमाला मंदिर प्रवेश के लिए सड़कों को पर उतरकर प्रदर्शन किया।
कोर्ट ने उनके हक में फैसला भी दिया।
हालाकि अभी फाइनल जजमेंट नहीं आया है।

महिलाएं ने मी टू कैंपेन भी चलाया है जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हैं।
 इस कैंपेन के माध्यम से अपने साथ हुए दुर्व्यवहार व शोषण के विरुद्ध खुल कर बोल रही है।

अभी हाल ही जेएनयू तथा जामिया यूनिवर्सिटी व अन्य कई विश्वविद्यालयों में जो आंदोलन हुए हैं। उनमें एक खास बात  यह देखने को मिली कि सड़कों पर लड़कों से ज्यादा लड़कियां दिखाई दे रही थी।

शिक्षा,समानता और न्याय के लिए लड़ने में वह अपनी बुलंद आवाज उठा रही है। और तो और इन प्रदर्शनों को कई जगह लड़कियां ही लीड कर रही है।
यह बहुत ही साहसिक कार्य है।

हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन देने का निर्णय देकर महिला सम्मान में एक यादगार कीर्तिमान स्थापित किया है।
इस केस में सरकार का यह दावा था कि पुरुष अफसर अपनी सीनियर महिला अधिकारी का ऑर्डर नहीं मान पाएंगे,इसके पीछे पुरुषवादी मानसिकता का हवाला दिया गया था जो कि सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से खारिज कर दिया।

इस फैसले का कई पुरुष अधिकारियों ने भी खुले दिल से स्वागत किया है। उम्मीद है अब पुरुषवादी मानसिकता में बदलाव देखने को मिलेंगे।

अब पुरुष और महिला के कार्यों में अंतर ना के बराबर रह गया है, जो काम पहले सिर्फ पुरुषों तक ही सीमित थे। वह सब कार्य महिलाएं बखूबी और शानदार तरीके से कर रही है जैसे- खाना डिलीवर करने का काम हो, ऑटो चलाना,बस कंडक्टर का काम,
बस ड्राइवर, पेट्रोल पंप पे नौकरी करना आदि। केब ड्राइवर का काम भी महिलाएं बखूबी कर रही है।

इसके अतिरिक्त व्यापार, विज्ञान, अंतरिक्ष, राजनीति, सामाजिक जीवन आदि हर क्षेत्र में महिलाएं अपना शानदार योगदान दे रही है।

पिछले वर्ष गोल्डन गर्ल हिमा दास ने 20 दिनों में 5 गोल्ड मेडल जीतकर पूरे देश ही नहीं दुनिया को भी चकित कर दिया।
एक गरीब और अभावों में पली बढ़ी हुई लड़की ने यह शानदार कारनामा कर दिखाया।

साल 2019 का मिस यूनिवर्स का खिताब साउथ अफ्रीका की जोजिबिनी टूंजी ने
90 देशों की सुंदरियों को हराकर अपने नाम कर दुनिया को चौका दिया।
इस लड़की ने दुनिया को सिखाने की कोशिश की है कि सुंदरता महज एक (गोरा) रंग नहीं होता जो सामान्यता लोग मानते हैं।


हाल ही हमारी भारतीय महिला क्रिकेट टीम फाइनल में पहुंची हैं।
यह भी एक बड़ी उपलब्धि है।

महिलाएं पुरुषवादी मानसिकता और वर्चस्व को कड़ी टक्कर दे रही है। साथी ही अपने दायरों से बाहर निकलकर घर की दहलीज से बाहर निकल कर अपने हक और अधिकार के लिए भी सड़कों पर उतर रही है।

अभी हाल ही महिला आंदोलन का ताजा उदाहरण- दिल्ली के शाइन बाग की महिलाएं काफी चर्चा में रही है।
तीन महीने से लगातार प्रदर्शन कर रही है।
इसी तरह गया के शांतिबाग में भी कई दिनों तक महिलाओ ने प्रोटेस्ट किया था।
हालांकि कई तरह की अफवाहें आरोप-प्रत्यारोप भी लग रहे हैं परंतु महिलाएं अपने दायरे से बाहर आकर सर्दी,गर्मी बरसात की परवाह न करते हुए अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही है।

शिक्षा और जागरूकता के दम पर वह सवाल भी कर रही हैं तथा तर्कपूर्ण जवाब देखकर सबको चकित भी कर रही है।

हालाकि महिलाओ के सड़कों पर उतरने,आंदोलन करने पर हमारी दूषित राजनीति बदनाम करने और कई तरह के लांछन लगाने का कार्य भी करती है।
मगर हमें याद करना होगा कि अतीत में भी महिलाओं पर कई तरह के आरोप,लांछन आदि लगे हैं। पुरुषवादी मानसिकता ने दुर्व्यवहार भी किया है जलील भी किया है।


महिला शिक्षा के लिए देश में पहला बालिका स्कूल खोलने वाली सावित्रीबाई फुले पर लोगों ने कीचड़ और गोबर फैका था।

मगर उन्होंने यह सब सहकर भी अपने कदम पीछे नहीं हटाए। आज देश में महिलाएं शिक्षा के दम पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जो शानदार कार्य कर रही है,उनकी उस शिक्षा की नीव सावित्रीबाई फुले ने बड़े संघर्ष के साथ रखी थी।
इस बात को शायद बहुत सी महिलाएं जानती भी नहीं है,यह अलग बात है।

ऐसी कई युग परिवर्तनकारी महिलाओ का योगदान हैं,हमारे देश के विकास में।

आज देश की महिलाएं राजनीति,शिक्षा,चिकित्सा,व्यापार,विज्ञान,खेल आदि सभी क्षेत्रों में अपना सराहनीय योगदान दे रही हैं।
हम उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हैं।

महिला दिवस पर हम उनको दिल से सलाम करते हैं और हृदय से बहुत सारी शुंकामनाए प्रेषित करते हैं। धन्यवाद


घना था जो बहुत,
अंधेरा वो छट रहा है।
तेरे सपनों का सूरज
नित दिवस बड़ रहा है।
रूढ़ियों की बेड़ियां
टूट रही हैं।
परम्पराओं के जाल
कट रहे हैं।
पुरुष पिंजरा तोड़ दे,
उन्मुक्त गगन में उड़ने दे।
स्वप्न सब तेरे
साकार होंगे,
लाख गहरे हो,
तो क्या?
दरिया सब पार होंगे।
बंदिशे टूट रही हैं। 
पर्दे गिर रहे हैं।
जो सीमित था बहुत
दायरा वो अब बड़ रहा है।
वक्त बदल रहा है।
वक्त बदल रहा है......।

बबलेश कुमार
उदयपुर राजस्थान


आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं।

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