New Hindi Kavita । देश में मेरे..। New Poem

देश में मेरे.. New Hindi Kavita 


देश में दिन ब दिन बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं और लचर कानून व्यवस्था व हमारी ढीली न्याय प्रणाली का चित्र प्रस्तुत करती यह कविता एक बार जरूर पढ़ें।

Desh me mere new Kavita। Justice for rape victim



देश में मेरे यह 

क्या हो रहा है।गली,मोहल्ला,नुक्कड़,चौराहहर जगह कोई जालिम उसे घूर रहा है।


बेटी बेखौफ दो कदम

चल नहीं सकती,
और लोग कहते है
देश में विकास हो रहा है।

मरे मूल्य,मरी नैतिकता
मानवता का सत्यानाश हो रहा है।
यह विकास नहीं,
विनाश हो रहा है।

New Hindi Poem


सदमे में है कहीं परिवार
पूरा देश रो रहा है।
बलात्कार कल नहीं,आज नहीं,
हर रोज़ हो रहा है।

बेटी बेखौफ दो कदम
चल नहीं सकती,
और लोग कहते है
देश में विकास हो रहा है।


क्या बेटियां ऐसे ही
डर डर के जिएगी
कितनी शहजादियां
और कफ़न में लिपटेगी।


क्या अब भी सिसकियां
सुनाई नहीं देती 
बहरी सरकारों को,
आखिर कब तक दोष दे हम
टीवी और अखबारों को।

मुजरिम,गवाह,सबूत
सब मिल गए,
किसका इंतजार है?
फ़ैसला कब सुनाओगे?
अपीलें ही सुनते रहोगे या
फांसी पे भी लटकाओगे।


केन्डल मार्च निकालो
या भारत बंद करो
घटनाएं ऐसे रुक नहीं सकती
जब तक बलात्कार पर
फांसी हो नहीं सकती।


देश में मेरे यह 

क्या हो रहा है।गली,मोहल्ला,नुक्कड़,चौराहहर जगह कोई जालिम उसे घूर रहा है।


बेटी बेखौफ दो कदम
चल नहीं सकती,
और लोग कहते है
देश में विकास हो रहा है।


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