दिल्ली के हालात पर मेरे दुःखी मन से निकली हुई कुछ पंक्तियां🤔😔
किसने भीड़ को भड़काया,
किसने इतनी नफ़रत फैलाई।
लहू से लथपथ हुई दिल्ली,
किसने दिलों में आग लगाई।
दिल्ली का दर्द
यहां हर दिल जला है।
भीड़ को भड़काने वाले,नादान!
यह दिल्ली नहीं,
देश का दिल जला है।
किसके बिगड़े बोलो ने,
दिशाहीन भीड़ को उकसाया।
किसके नफरती इरादों ने,
खूनी होली का खेल रचाया।
बेकसूर बेमौत मारे गए।
असली कातिल कहां जला हैं।
यह दिल्ली नहीं,
देश का दिल जला हैं।
किसी ने भाई,
किसी ने बेटा खोया।
किसी का स्वाग उजड़ा है।
मरने वाले सब अपने ही थे,
अपनों का ही घर,संसार उजड़ा है।
छोड़ो ये रंजिशे,
प्यार का पैग़ाम दो,
नफरतों से अबतक
किसको क्या मिला है।
यह दिल्ली नहीं,
देश का दिल जला है।
बबलेश कुमार✍🙏🏻🙏🏻
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