दिल-ए-आरज़ू
New Gajal
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इस ब्लॉग में आज हम आपके लिए एक नई ग़ज़ल
दिल-ए-आरज़ू
लेकर आए हैं।
उम्मीद है आपको पसंद आएगी।
New Gajal |
दिल-ए-आरज़ू जो भी है,
छुपाया ना करो।
दिल के मामले में यूं दिमाग लगाया ना करो।
फुर्सत नहीं या याद आती नहीं
बहाने रोज़ यूं बनाया ना करो
गजल |
मसला यह है कि तुम तो याद करते नहीं
हमें भी रोज़ यूं याद आया ना करो
चेन से सोने दो हमें भी रातभर
ख्यालों में रोज़ यूं आया ना करो
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हमारी ही गली से गुजरते हो क्यूं रोज़
बेचैन दिल को अब यूं धड़काया ना करो
दोस्ती है या है मोहब्बत,उलझन तो है
राज़ जो भी हो
दिल में यूं दबाया ना करो
गजल क्या है?
दिल के दरिया में एक उफान सा आता है
कातिल अदा से रूबरू यूं मुस्कुराया ना करो
जब भी मिलो सिद्दत से गले लगाओ मकबूल
अदब से हाथ अब यूं मिलाया ना करो।
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Bablesh Kumar
Udaipur Rajasthan
(मेरी पहली गज़ल)
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