दुःखी है देश का किसान । New Geet । Kisan

Hello दोस्तो,
आज हम आपके लिए किसान की व्यथा और उसकी  पीड़ा पर एक नई कविता  लेकर आए हैं।

कविता का शीर्षक है-
दुखी हैं देश का किसान

दुःखी है देश का किसान । New Geet । Kisan



सूरज से पहले उठता
दिन भर मेहनत करता
फिर भी सुखी नही प्राण
दुखी हैं देश का किसान
दुःखी है देश का किसान।

दुःखी है देश का किसान । New Geet । Kisan
किसान



पसीना चोटी से एडी तक आए
फिर भी इसको आराम ना भाए।
दिन रात लगा रहता,
दीवाली हो या रमजान।
दुःखी है देश का किसान-2

New Hindi KavitaKisaan


अन्न उगाए,सबको खिलाए
मेहनत का मोल इसे ना मिल पाए।
दाम फसल का मिले ज्यो,
ऊंट के मुंह में जीरा समान
दुःखी है देश का किसान-2

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सूखा पड़े जब
बीज भी उगने को तरसे
कभी पकी फसल पर बादल बरसे।
इसकी पीड़ा की पुकार
ना सरकार सुने ना भगवान।
दुःखी है देश का किसान
दुःखी है देश का किसान।


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Desh Ka Kisaan


किसान का जीवन बहुत ही संघर्ष और परेशानियों से भरा होता है। किसान हमारे लिए अन्न पैदा करता है,सब्जियां उगता है, मगर आज भी देश में इस अन्नदाता की दयनीय स्थिति पर ना कभी संसद में चर्चा होती हैं ना किसान के हित में कोई  क्रांतिकारी कानून बनते हैं।

सभी राजनीतिक पार्टिया अपने को किसान हितैषी बता कर वोट बटोरती रहती हैं।

और इस दूषित राजनीति का परिणाम यही होता है कि
किसान का निरंतर शोषण होता रहता है। 

किसान - विकिपीडिया

कितनी अजीब बात है कि एक  लीटर पानी की बोतल  20 या 25 रुपए तक बिकती हैं मगर किसान का एक किलो गेहूं  18 या 19 रुपए प्रति किलो तक ही बिकता है।

प्रत्येक वस्तु के उत्पादन कर्ता को अपने द्वारा बनाई गई वस्तु का एक मूल्य निर्धारित करने का अधिकार होता है,वो जिस कीमत पर अपनी वस्तु को बेचना चाए बेच सकता हैं परन्तु किसान को अपनी फसल का मूल्य निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है।

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धन्यवाद


बबलेश कुमार
उदयपुर
(मेरा पहला गीत)

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