कोरोना : नव पुनर्जागरण की पुकार ! Corona Crisis
Corona Virus |
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1347 में फैली ब्लेक डेथ महामारी ने पूरी दुनिया में भयंकर तबाई मचाई थी उस समय सम्राटों पर भी पॉप का हुक्म चलता था।
धर्मिक मान्यता ऐसी थी कि चर्च का पॉप परमात्मा से सीधा संवाद कर सकता हैं।
और हर बीमारी या समस्या से बचा सकता हैं,मगर ब्लेक डेथ ने लोगो की आंखे खोल दी।
Black Death
पूजा पाठ,कर्मकांड,दुआ,प्रार्थना
कुछ काम नही आई।
पादरी चर्च छोड़कर भाग गए, चारों और लाशे सड़ती रही कोई बचाने नहीं आया।
तब इंसान ने अपनी बुद्धि का तार्किक ढंग से प्रयोग करना शुरू किया, हर धार्मिक प्राचीन मान्यताओ पर सवाल खड़े किए।
अंधविश्वासो का पहली बार भारी संख्या में इंसान ने खुलकर विरोध किया।
स्वर्ग नर्क और चमत्कार की धारणाओं को लोगों ने त्याग दिया,
लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ चर्च की सत्ता धीरे-धीरे कम होने लगी।बहुत सारी प्राचीन मान्यताएं ख़तम हो गई।
इसे ही इतिहास में यूरोप का पुनर्जागरण काल कहा जाता हैं।🤔🙏🏻
ब्लैक डेथ के बारे में यहां पढ़े
ब्लैक डेथ महामारी लगभग
4 वर्ष तक(1347 से 1351) चली।
20 करोड़ लोगों की इससे मौत हो गई। यूरोप में इस बीमारी से जितने लोगों की मौत हुई उतने लोग वापस बढ़ने में लगभग 200 साल लग गए।
आज हम जो विज्ञान का विस्तार देख रहे हैं उसकी शुरुआत पुनर्जागरण काल से शुरू हुई और इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति ने तो इसकी गति को कई गुणा बढ़ा दिया।
Corona Crisis |
I hope यह कोरोना काल दुनियां का दूसरा पुनर्जागरण काल साबित हो।
सभी लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हो साथ ही प्रकृति और पशु पक्षियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए।
नई नई तकनीक और नई खोजों का विस्तार हो।
विज्ञान का प्रयोग मानव कल्याण में ही हो तभी इसकी सार्थकता सिद्ध होगी।
सोचो! अगर लोग अभी तक स्वर्ग नर्क,चमत्कार,कर्मफल, कर्महीनता, भाग्यवाद आदि धारणाओं को नहीं छोड़ते,
जो लिखा है वहीं होगा,
मौत ऊपर वाले के हाथ में है
वहीं बीमारी से बचायेगा।
यह सब बाते मान के चलते तो???🤔✍️✍️🤔
ना दुनियां में विज्ञान पैदा होता
ना दवाइयां बनती,ना हॉस्पिटल
प्लेन,जहाज,ट्रेन,बस,मिसाइल,टैंक अन्य सभी भौतिक वस्तुएं आज हम दिखाई देती। 🤔
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क्योंकि अभी तंत्र,मंत्र,झाड़ फूक,ताबीज,कंठी माला,हवन, श्राप,चमत्कार कोई काम नहीं आ रहा। एक अदृश्य सूक्ष्म जीव के आगे सब लाचार और बेबस नजर आ रहे हैं।
आज सम्पूर्ण जगत विज्ञान से इसके टिके या इलाज़ की आशा लगाए बैठा है।🤔
हमें धार्मिक प्राचीन अंधविश्वासों,परम्पराओं,रूढ़ियों
जातिवाद,भेदभाव आदि मानवता विरोधी बुराइयों को दूर करने का एक प्रकृति प्रदत्त अवसर मिला है।
फिर से पुनर्जागरण का मौका मिला है तो इसका लाभ लेना ही चाइए। तोड़ दो वो सब बेड़ियां जो मनुष्य को किसी ने किसी रूप में जकड़े हुए हैं उसकी स्वतंत्रता को बाधित किए हुए हैं।
गिरा दो उन सभी दीवारों को जो असमानता की नीव पर खड़ी की गई है। मिटा दो उन विचारो को जो मानव मानव के बीच असमानता कि खाई बनाए।
दफना दो,जला दो उन सब पन्नों को जो महिला का शोषण करे उसे समानता और अधिकारों से वंचित करे।
तभी जाकर एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा जो पूर्णतया मानवता पर आधारित होगी।
धर्म हो व्यक्ति को संपूर्ण बनाने और नैतिकता का पालन करने के लिए ना कि किसी को प्रताड़ित करने,हिंसा करने के लिए।
Corona : nav jagrahan |
धर्म और विज्ञान दोनों बहुत
अलग है। एक मानने में विश्वास रखता है तो दूसरा सब कुछ प्रयोग या तथ्यों के आधार पर जानने की कोशिश करता है। जो भी हों
मगर आज का समय विज्ञान पर निर्भर करता है।
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अगर आप ऐसा नहीं मान
सकते हैं तो
इसका पता करना आसान है।🤔
अपने घर की अब चीजों को देखे।
आपके घर में 10 चीजें धर्म की होगी तो
100 विज्ञान की जरूर होगी।
विज्ञान ने हमें बहुत कुछ दिया है।
हमारे जीवन को सुखी और समृद्ध बनाया है।
यह बात भी सत्य है कि इंसान ने विज्ञान का प्रयोग दुनिया में दशहत फैलाने,अपने स्वार्थों की पूर्ति करने आदि अमानवीय कार्यों में किया है।
इस ओर ध्यान देना आवश्यक है। विज्ञान का उपयोग मानव कल्याण, सुरक्षा और समृद्धि में ही हो तो बहुत सार्थक होगा।
आज हम सब अपने घरों में बन्द होते हुए भी पूरी दुनिया से जुड़े हुए हैं। पल पल की खबर मिल रही है। आज विज्ञान के संचार के साधनों के जरिए ही हम अपने घर में कैद होते हुए भी सभी देशों,राज्यो,परिचितों से जुड़े हुए हैं।
इस लेख को लिखने का हमारा उद्देश्य बस इतना ही है कि इंसान अपनी बुद्धि को तार्किक बनाए और एक स्वस्थ वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं।
सर्वे भवन्तु सुखिन:🙏🙏🌷🌷
इन्हीं आशाओं के साथ
आपका भाई / साथी ✍️
Bablesh Kumar
Udaipur Rajasthan
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